मेवाड़ का सम्पूर्ण इतिहास क्या है | मेवाड़ के राजाओं का क्रम | मेवाड़ के कुछ प्रसिद्ध पर्यटन स्थल

मेवाड़ का सम्पूर्ण इतिहास क्या है | मेवाड़ के राजाओं का क्रम | मेवाड़ के कुछ प्रसिद्ध पर्यटन स्थल 

मेवाड़ वंश का इतिहास भारत के सबसे गौरवशाली इतिहासों में से एक है। इस वंश के शासकों ने कई शताब्दियों तक मेवाड़ पर शासन किया और हिंदू संस्कृति और धर्म की रक्षा के लिए अद्वितीय साहस और बलिदान दिखाया।

मेवाड़ वंश की स्थापना 734 ईस्वी में गुहिल वंश के राजा कालभोज ने की थी। इस वंश के पहले 59 शासक गुहिल वंश के थे। इनमें से सबसे प्रसिद्ध शासक महाराणा कुम्भा थे, जिन्होंने 12वीं शताब्दी में मेवाड़ को एक शक्तिशाली साम्राज्य में बदल दिया।

1326 ईस्वी में, गुहिल वंश का अंत हुआ और सिसोदिया वंश के शासकों ने मेवाड़ की राजगद्दी संभाली। सिसोदिया वंश के सबसे प्रसिद्ध शासक महाराणा प्रताप थे, जिन्होंने 16वीं शताब्दी में मुगल साम्राज्य के खिलाफ अद्भुत साहस और वीरता का प्रदर्शन किया।

मेवाड़ वंश के शासकों ने मेवाड़ को एक समृद्ध और समृद्ध राज्य में बदल दिया। उन्होंने कई भव्य मंदिरों और महलों का निर्माण किया, जिनमें से कई आज भी खड़े हैं। मेवाड़ वंश के शासकों ने हिंदू संस्कृति और धर्म की रक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।

मेवाड़ वंश का इतिहास भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस वंश के शासकों ने भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और हिंदू संस्कृति और धर्म को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।



यहां मेवाड़ वंश के कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं का संक्षिप्त विवरण दिया गया है:

  •              734 ईस्वी: मेवाड़ वंश की स्थापना।'
  •          1178 ईस्वी: कुम्भा के शासनकाल में, मेवाड़ एक शक्तिशाली साम्राज्य बन गया।
  •          1527 ईस्वी: राणा सांगा के शासनकाल में, मेवाड़ की सेना ने तराइन के युद्ध में बाबर की सेना को हराया।
  •          1572 ईस्वी: महाराणा प्रताप ने मुगलों के खिलाफ एक लंबी लड़ाई लड़ी और चित्तौड़गढ़ का किला बचा लिया।
  •          1950 ईस्वी: मेवाड़ राज्य का भारत में विलय हो गया।

मेवाड़ वंश के शासकों ने भारत के इतिहास में एक अमिट छाप छोड़ी है। उनके साहस, वीरता और बलिदान को हमेशा याद किया जाएगा।

 

मेवाड़ के राजाओं का क्रम इस प्रकार है:

गुहिल वंश (734-1326 ईस्वी)

·         कालभोज (734-753 ईस्वी)

·         खुमाण (753-773 ईस्वी)

·         मत्तट (773-793 ईस्वी)

·         भर्तृभट्ट प्रथम (793-813 ईस्वी)

·         सिंह (813-828 ईस्वी)

·         भोज (828-885 ईस्वी)

·         अजयपाल (885-914 ईस्वी)

·         विग्रहराज प्रथम (914-962 ईस्वी)

·         सातलदेव (962-997 ईस्वी)

·         राजाराम (997-1024 ईस्वी)

·         समरसिंह (1024-1043 ईस्वी)

·         अजीत सिंह (1043-1064 ईस्वी)

·         जयसिंह (1064-1090 ईस्वी)

·         सोमेश्वर (1090-1133 ईस्वी)

·         जयत्रथ (1133-1143 ईस्वी)

·         सोमेश्वर द्वितीय (1143-1178 ईस्वी)

·         कुम्भा (1178-1302 ईस्वी)

·         महाराणा रतन सिंह (1302-1303 ईस्वी)

·         महाराणा हम्मीर सिंह (1303-1326 ईस्वी)

सिसोदिया वंश (1326-1950 ईस्वी)

·         उदय सिंह (1326-1367 ईस्वी)

·         राणा सांगा (1509-1527 ईस्वी)

·         राणा कुम्भा (1527-1535 ईस्वी)

·         राणा उदय सिंह द्वितीय (1535-1572 ईस्वी)

·         महाराणा प्रताप (1572-1597 ईस्वी)

·         अमर सिंह (1597-1628 ईस्वी)

·         जगत सिंह (1628-1652 ईस्वी)

·         राणा राज सिंह (1652-1680 ईस्वी)

·         जगत सिंह द्वितीय (1680-1698 ईस्वी)

·         अमर सिंह द्वितीय (1698-1710 ईस्वी)

·         जगत सिंह तृतीय (1710-1734 ईस्वी)

·         सवाई जयसिंह (1734-1743 ईस्वी)

·         सवाई माधोसिंह प्रथम (1743-1768 ईस्वी)

·         सवाई प्रताप सिंह (1773-1794 ईस्वी)

·         सवाई माधोसिंह द्वितीय (1794-1827 ईस्वी)

·         सवाई मान सिंह II (1827-1843 ईस्वी)

·         सवाई रामसिंह (1843-1861 ईस्वी)

·         सवाई जगत सिंह द्वितीय (1861-1881 ईस्वी)

·         सवाई फतेह सिंह (1881-1938 ईस्वी)

·         सवाई मान सिंह III (1938-1950 ईस्वी)

इसके अतिरिक्त, मेवाड़ के कुछ अन्य शासक भी थे, जिन्हें स्वतंत्र शासक नहीं माना जाता है। इनमें शामिल हैं:

·         राणा सांगा के छोटे भाई महाराणा विक्रमादित्य (1527-1535 ईस्वी)

·         महाराणा प्रताप के पुत्र महाराणा अमर सिंह (1597-1600 ईस्वी)

·         महाराणा प्रताप के पुत्र महाराणा चंद्र सिंह (1600-1614 ईस्वी)

·         महाराणा प्रताप के पुत्र महाराणा अमर सिंह द्वितीय (1614-1628 ईस्वी)


मेवाड़ का अंतिम शासक कौन था


1950 में मेवाड़ राज्य का भारत में विलय हो गया और महाराणा मान सिंह III को भारत सरकार द्वारा राजपरिवार का मुखिया नियुक्त किया गया।

मेवाड़ के गुहिल वंश का इतिहास भारत के सबसे गौरवशाली इतिहासों में से एक है। इस वंश के शासकों ने कई शताब्दियों तक मेवाड़ पर शासन किया और हिंदू संस्कृति और धर्म की रक्षा के लिए अद्वितीय साहस और बलिदान दिखाया।

मेवाड़ वंश की स्थापना 734 ईस्वी में गुहिल वंश के राजा कालभोज ने की थी। कालभोज के बाद, उनके पुत्र बप्पा रावल ने मेवाड़ के शासक बने। बप्पा रावल ने चित्तौड़गढ़ पर विजय प्राप्त की और इसे मेवाड़ की राजधानी बनाया।

बप्पा रावल के बाद, उनके पुत्र और पोते ने मेवाड़ पर शासन किया। इन शासकों ने मेवाड़ को एक शक्तिशाली राज्य में बदल दिया।

12वीं शताब्दी में, महाराणा कुम्भा ने मेवाड़ पर शासन किया। कुम्भा एक महान योद्धा और शासक थे। उन्होंने मेवाड़ को एक शक्तिशाली साम्राज्य में बदल दिया और कई युद्धों में विजय प्राप्त की। कुम्भा ने कई भव्य मंदिरों और महलों का निर्माण भी किया, जिनमें से कई आज भी खड़े हैं।

1326 ईस्वी में, गुहिल वंश का अंत हुआ और सिसोदिया वंश के शासकों ने मेवाड़ की राजगद्दी संभाली। सिसोदिया वंश के सबसे प्रसिद्ध शासक महाराणा प्रताप थे। महाराणा प्रताप ने मुगल साम्राज्य के खिलाफ एक लंबी लड़ाई लड़ी और चित्तौड़गढ़ का किला बचाया। महाराणा प्रताप की वीरता और साहस की कहानियां आज भी सुनाई जाती हैं।

1947 में, भारत की स्वतंत्रता के बाद, मेवाड़ राज्य भारत में विलय हो गया।

मेवाड़ के गुहिल वंश के कुछ महत्वपूर्ण शासकों का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है:

·         कालभोज (734-753 ईस्वी): मेवाड़ वंश के संस्थापक।

·         बप्पा रावल (753-793 ईस्वी): चित्तौड़गढ़ पर विजय प्राप्त की और इसे मेवाड़ की राजधानी बनाया।

·         महाराणा कुम्भा (1433-1473 ईस्वी): एक महान योद्धा और शासक। कई युद्धों में विजय प्राप्त की और कई भव्य मंदिरों और महलों का निर्माण किया।

·         महाराणा प्रताप (1572-1597 ईस्वी): मुगल साम्राज्य के खिलाफ एक लंबी लड़ाई लड़ी और चित्तौड़गढ़ का किला बचाया।

मेवाड़ के गुहिल वंश के शासकों ने मेवाड़ को एक समृद्ध और समृद्ध राज्य में बदल दिया। उन्होंने कई भव्य मंदिरों और महलों का निर्माण किया, जिनमें से कई आज भी खड़े हैं। मेवाड़ के गुहिल वंश के शासकों ने हिंदू संस्कृति और धर्म की रक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।

वर्तमान में मेवाड़ के राजा कौन है

मेवाड़ का अंतिम शासक सवाई मान सिंह III थे। उन्होंने 1938 से 1950 तक मेवाड़ पर शासन किया। 1950 में, मेवाड़ राज्य का भारत में विलय हो गया और सवाई मान सिंह III को भारत सरकार द्वारा राजपरिवार का मुखिया नियुक्त किया गया।

मेवाड़ राजस्थान का एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध क्षेत्र है। यहाँ कई ऐतिहासिक मंदिर, महल और किले हैं, जो इस क्षेत्र की समृद्ध विरासत की गवाही देते हैं।



मेवाड़ के 16 ठिकाने

मेवाड़ के कुछ प्रसिद्ध पर्यटन स्थल इस प्रकार हैं:

·         चित्तौड़गढ़ किला: भारत के सबसे प्रसिद्ध किलों में से एक, चित्तौड़गढ़ किला मेवाड़ की ऐतिहासिक राजधानी थी। इस किले को कई बार आक्रमणों का सामना करना पड़ा है, लेकिन यह अभी भी अपनी भव्यता और विशालता को बरकरार रखता है।

·         मेहरानगढ़ किलाउदयपुर की राजधानी, मेहरानगढ़ किला एक अन्य प्रसिद्ध किला है जो अपनी सुंदरता और वास्तुकला के लिए जाना जाता है। इस किले को मेवाड़ के शासकों द्वारा बनवाया गया था और यह आज भी एक प्रमुख पर्यटन स्थल है।

·         रणथंभौर किलायह किला राजस्थान के सबसे बड़े किलों में से एक है और यह रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान के भीतर स्थित है। इस किले को कई बार आक्रमणों का सामना करना पड़ा है, लेकिन यह अभी भी अपनी भव्यता और विशालता को बरकरार रखता है।

·         कुंभलगढ़ किलायह किला मेवाड़ के शासकों द्वारा बनवाया गया था और यह अपनी सुंदरता और वास्तुकला के लिए जाना जाता है। इस किले को कई बार आक्रमणों का सामना करना पड़ा है, लेकिन यह अभी भी अपनी भव्यता और विशालता को बरकरार रखता है।

·         जग मंदिरयह मंदिर भगवान जगन्नाथ को समर्पित है और यह उदयपुर में स्थित है। यह मंदिर अपनी सुंदरता और वास्तुकला के लिए जाना जाता है।

·         फतहसागर झीलयह झील उदयपुर में स्थित है और यह अपने सुंदर दृश्यों के लिए जाना जाता है। इस झील के किनारे कई महल और मंदिर स्थित हैं।

·         पुष्कर झीलयह झील राजस्थान के सबसे पवित्र झीलों में से एक है और यह अजमेर में स्थित है। इस झील के किनारे कई मंदिर और घाट स्थित हैं।

·         नागदा: यह एक ऐतिहासिक शहर है जो अपने मंदिरों और महलों के लिए जाना जाता है।

·         माउंट आबूयह एक पहाड़ी शहर है जो अपने मंदिरों, झीलों और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है।

·         सिरोहीयह एक ऐतिहासिक शहर है जो अपने मंदिरों और किलों के लिए जाना जाता है।

ये मेवाड़ के कुछ प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं। इनके अलावा, मेवाड़ में कई अन्य दर्शनीय स्थल हैं, जो इस क्षेत्र की समृद्ध विरासत और संस्कृति को दर्शाते हैं।

मेवाड़ क्षेत्र राजस्थान राज्य के दक्षिण-पश्चिमी भाग में स्थित है। इस क्षेत्र में 10 जिले शामिल हैं:

  • चित्तौड़गढ़
  • प्रतापगढ़
  • उदयपुर
  • राजसमंद
  • अजमेर
  • भीलवाड़ा
  • सिरोही
  • डूंगरपुर
  • बांसवाड़ा

मेवाड़ के सामंत



मेवाड़ के सामंत मेवाड़ के शासक के अधीन थे, लेकिन वे अपने क्षेत्रों में स्वायत्तता रखते थे। वे अपने क्षेत्रों में सैन्य और प्रशासनिक मामलों का प्रभार रखते थे। मेवाड़ के सामंतों में शामिल थे:

  • राणावत: राणावत मेवाड़ के सबसे शक्तिशाली सामंत थे। वे मेवाड़ के उत्तरी और उत्तर-पूर्वी भागों में स्थित थे।
  • राठौड़: राठौड़ मेवाड़ के पश्चिमी भागों में स्थित थे।
  • सिसोदिया: सिसोदिया मेवाड़ के दक्षिणी और दक्षिण-पूर्वी भागों में स्थित थे।
  • कुमावत: कुमावत मेवाड़ के पूर्वी भागों में स्थित थे।
  • मेवाड़ा: मेवाड़ा मेवाड़ के मध्य भागों में स्थित थे।

मेवाड़ के सामंतों ने मेवाड़ की रक्षा और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कई बार मुगलों और अन्य आक्रमणकारियों के खिलाफ मेवाड़ की रक्षा की। उन्होंने मेवाड़ में कई मंदिरों, महलों और अन्य भवनों का निर्माण भी कराया।

मेवाड़ के सामंतों में से कुछ सबसे प्रसिद्ध लोगों में शामिल हैं:

  • राणावत हम्मीर सिंह: राणावत हम्मीर सिंह 15 वीं शताब्दी के महान योद्धा और शासक थे। उन्होंने चित्तौड़गढ़ के किले की रक्षा में मुगलों के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
  • राठौड़ उदय सिंह: राठौड़ उदय सिंह ने मेवाड़ की राजधानी को चित्तौड़गढ़ से उदयपुर स्थानांतरित किया। उन्होंने उदयपुर शहर का निर्माण भी कराया।
  • सिसोदिया महाराणा प्रताप सिंह: सिसोदिया महाराणा प्रताप सिंह 16 वीं शताब्दी के महान योद्धा और शासक थे। उन्होंने मुगलों के खिलाफ कई लड़ाइयाँ लड़ीं और मेवाड़ की स्वतंत्रता की रक्षा की।

मेवाड़ के सामंतों का इतिहास मेवाड़ की समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

 

 

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