जानिए कैसे पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु का कारण बनी थी उनकी पत्नी संयोगिता!

जानिए कैसे पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु का कारण बनी थी उनकी पत्नी संयोगिता!


पृथ्वीराज चौहान जो की एक वीर योद्धा थे। पृथ्वीराज चौहान की पत्नी संयोगिता जो पहले उनकी प्रेमिका थी। आप सभी लोग इस सत्य से भलीभांति परिचित भी होंगे, और सभी ने इनकी प्रेम कहानी के अनोखे किस्से भी सुन ही लिए होंगे। लेकिन क्या आप लोग ये जानते है कि पृथ्वीराज की मृत्यु का कारण उनकी पत्नी ही रही थी। निश्चित रूप से आप यह बात नहीं जानते होंगे।



तो आज इस बात से भी पर्दा हटा ही लेते है-

इस कहानी को पूरा जानने से इस कहानी की शुरुआत जानना भी जरूरी होता है। इसलिए आपको पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता की अमर प्रेम कहानी को पूरा समझना चाहिए।

जब संयोगिता की नजर पहली बार पृथ्वीराज चौहान पर गयी थी, तब क्या हुआ-

संयोगिता, कन्नौज के राजा जयचंद राठौर की पुत्री थी। एक बार कन्नौज में एक चित्रकार अपनी बने हई सभी आर्ट्स महल के लोगों को दिखा रहा था। तभी संयोगिता की नजर पृथ्वीराज चौहान की एक चित्रकला पर गयी। कहा जाता हैं कि संयोगिता पहली नजर में पृथ्वीराज को देखते ही अपना दिल दे बैठी थी।

संयोगिता का जब हुआ स्वयंवर-




संयोगिता के विवाह हेतु उनके पिता राजा जयचन्द ने स्वयंवर का आयोजन किया था, जिसमें कई राजा-महाराजाओं को निमंत्रित किया गया, लेकिन पृथ्वीराज से पहले का मन-मुटाव और नाराजगी के कारण उनको निमंत्रण नहीं भिजवाया गया और पृथ्वीराज ने उपस्थिति के रूप में द्वारपाल के पास अपनी प्रतिमा लगवा दी थी। ऐसा बोला जाता है कि पृथ्वीराज चौहान भी संयोगिता की एक झलक तस्वीर में ही देख चुका था क्योकि उसी चित्रकार ने संयोगिता की एक अति सुन्दर तस्वीर बनाकर पृथ्वीराज को पहले ही दिखा दी थी।


स्वयंवर का कार्यक्रम शुरू तो हुआ लेकिन संयोगिता को कोई भी पसंद नहीं आ रहा था-

वह एक एक राजा को देखते हुए आगे बढ़ती रही और अंत में उसने पृथ्वीराज राज चौहान की प्रतिमा जो की द्वारपाल के पास रखी हुई थी, उनके गले में ही माला डाल दी। यह देखकर उनके  पिता राजा जयचंद्र को काफी गुस्सा आया, किन्तु द्वारपाल के साथ में तब पृथ्वीराज भी खड़े हुए थे। वह सभा में उपस्थित हुए और राजा जयचंद्र से उनकी पुत्री का हाथ माँगा। किन्तु वह राजी नहीं हुए इसलिए पृथ्वीराज-संयोगिता को उठाकर दिल्ली के लिए चल दिए थे। राह में संयोगिता के लिए एक युद्ध भी हुआ था, जिसे बड़ी आसानी से दिल्ली के राजा ने जीत लिया था।

पिता जयचंद्र ने बाद में बेटी को अगवा करने का बदला लिया-



तो जो चीज जितनी खुबसूरत होती है वह उतनी घातक भी सिद्ध होती है। यह बात पृथ्वीराज चौहान को मालूम ना थी। जब पृथ्वीराज चौहान से मोहम्मद गोरी 17 बार मुंह की खा चुका था, तो ही अंत में उसको जयचंद्र की मदद मिली थी। जयचंद्र अपनी बेटी से भी खफा था। तो फिर संयोगिता के पिता राजा जयचंद ने मोहम्मद गोरी को पृथ्वीराज के सारे राज बता दिए और युद्ध में मदद के तौर पर अपनी सेना भी मोहम्मद गोरी को लड़ने के लिए दी थी। गोरी 18 वी बार दिल्ली पर हमला कर रहा था और जयचंद्र ने अपनी बेटी से विवाह करने का बदला इस महान और वीर योधा से लिया।

आखिर में प्रेम की खातिर पृथ्वीराज ने राजा जयचंद्र से दुश्मनी बना ली थी और इसी कारण एक बड़ा धोखा, पृथ्वीराज चौहान को शहीद बना देता है।

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